इसमें कोई शक नहीं है कि कैंसर एक बहुत ही घातक बीमारी है। हमारे देश में इस बीमारी को और भी अधिक खतरनाक माना जाता है। कई लोग तो इस बीमारी का नाम लेना भी अशुभ मानते है। वे या तो इसे "बड़ी बीमारी" या "वोई वाली बीमारी" कहना पसंद करते है। जितनी खरतनाक यह बीमारी है उतनी ही खतरनाक है इस बीमारी के प्रति अज्ञानता। इससे पीड़ित रोगियों में सकारात्मक द्रष्टिकोण का न होना रोगियों के लिए और भी अधिक ख़तरनाक साबित होता है। एक रिसर्च के अनुसार कोरोना वायरस के बाद कैंसर के मरीजों में डिप्रेशन और तनाव की समस्या कई गुना बढ़ी है। इस बीमारी से दुनियाभर में लोग पीड़ित हैं और कोरोना वायरस के दौरान उनके इलाज में भी परेशानियां आई हैं जिसकी वजह से मरीजों में अवसाद की समस्या बढ़ी है। कैंसर की बीमारी में इलाज के दौरान जरा सी भी लापरवाही आपके लिए भारी पड़ सकती है। मरीज़ में अवसाद की समस्या को भी काफी गंभीर माना जाता है। अगर कैंसर के मरीज़ अपने द्रष्टिकोण को सकारात्मक रखते है तो इसका प्रभाव उनके स्वस्थ पर काफी अधिक पड़ता है। कई रिसर्च में यह बात साबित हो चुंकि है कि अगर कैंसर का मरीज़ अपने इलाज के दौरान सकारात्मक रहता है तो वह जल्द रिकवरी करता है। इसलिए ज़रूरी है कि पीड़ित रोगी इलाज के दौरान सकारात्मक द्रष्टिकोण अपनायें। आइये जानते है किस प्रकार से इस बीमारी के प्रति सकारात्मक द्रष्टिकोण अपनाया जा सकता है।
सकारात्मक रहो और सकारात्मक लोगों से मिलों (Be Positive)
कैंसर से पीड़ित रोगियों के लिए ज़रूरी है कि वे सकारात्मक (पॉजिटिव) रहे। इसके लिए ज़रूरी है कि वे अपने-आप को सकारात्मक लोगों के बीच में रखें। जिससे ऐसा वातावरण बनेगा कि आपका द्रष्टिकोण इलाज के प्रति सकारात्मक रहेगा। आप सिर्फ अपने उन दोस्तों व परिवार के सदस्यों के साथ रहे जिनके साथ रहने पर आप ख़ुशी का अनुभव करते है। जिनकी बातें आपको रुझाती हो व जिनसे मिलने पर आपको कोई टेंशन नहीं होती हो। ज़रूरी है कि आप उन लोगों के साथ अपना रिश्ता और भी मज़बूत बनाए, जिन्होंने अतीत में कठिन समय में आपका साथ दिया है। अपने अंदर की बातों को भी साझा करने में संकोच ना करें। उन लोगों के साथ बात करें जिन्हें आप प्यार करते हैं। वे आपको इसके लिए भी हिम्मत दिलाएंगे कि आप अपने डर और चिंताओं का सामना करने से उन्हें प्रबंधित करना आसान हो जाएगा।
टॉक्सिक रिलेशनशिप (Toxic Relationship) को खत्म करें
सकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, आपको अपने जीवन से नकारात्मकता को दूर करने की आवश्यकता है। थोड़ा सा भी नकारात्मक होना आपके लिए गंभीर हो सकता है। इसके लिए सबसे पहले नकारात्मक सोच वाले लोगों को अपने जीवन से बाहर निकालें। इन लोगों को निकालना मुश्किल होता है। लेकिन आप सबसे पहले आपने बारे में सोचें। अच्छे दोस्तों के संपर्क में रहें, जो आपकी बातों को अच्छे से समझते हों। इस तरह के व्यक्ति आपको नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद कर सकता है।
डायरी लिखें
अगर आपको सकारात्मक रहने में मुश्किल हो रही है, तो ज़रूरी है कि उन छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान केंद्रित करें जो आपको खुश करती हैं। आप हर दिन डायरी मे लिख सकते हैं। डायरी में उन खास लोगों, घटनाओं या चीजों के बारे में लिखें जो आपके साथ खड़े हैं और आपको बेहतर महसूस कराते है। अस्पताल के कर्मचारियों के बारे में भी आप लिख सकते है जो आपके इलाज में आपकी मदद कर रहे है। कुल मिलाकर जो भी आपकी सकारात्मक भावना को बढ़ावा दे रहे है उन सब के बारे में आप लिखें। यह आपको कैंसर से लड़ते समय अच्छा और आशावादी महसूस करने में मदद करेगा।
मैडिटेशन या जाप करें
कभी कभी जीवन में ऐसा समय आता है कि आप सकारात्मक नहीं रह पाते है। मन में अजीबों-ग़रीब विचार आने लगते है। ऐसी स्तिथि का सामना करने के लिए ज़रूरी है कि आपका अपने मन पर नियंत्रण हो। मन पर नियंत्रण के लिए ज़रूरी है कि आप मैडिटेशन करे या किसी मंत्र वगैराह का जाप करें। मंत्र को एक जाप की तरह न लें, बल्कि इसे आत्मस्थापना के तौर पर देखें। इससे आपको नकारात्मक विचारों को दूर करने व तनाव दूर करने में मदद मिलेगी।
कैंसर के मरीजों में इलाज और दवाओं के सेवन की वजह से भी अवसाद की समस्या हो सकती है। रिसर्च में भी यह बात साबित हो चुंकि है कि कैंसर के मरीजों में इलाज के दौरान या इलाज के बाद अवसाद की समस्या जरूर होती है। अवसाद से बचने के लिए जरूरी है कि आप अपने डॉक्टर की सलाह लें। नियमित रूप से जांच कराये और हेल्दी डाइट लें। सकारात्मक और उत्साहजनक द्रष्टिकोण रखने से अवसाद की समस्या में फायदा मिलता है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को भी सकारात्मक रहने के लिए प्रेरित करें। मरीज़ की भावनाओं को समझकर उसे इमोशनल सपोर्ट देना चाहिए। ऐसे व्यक्ति जो अवसाद से पीड़ित हैं उन्हें लोगों के बीच में रहना चाहिए और हमेशा एक्टिव रहना चाहिए। इससे आप बीमारी से लड़ने में सक्षम होंगे।
निष्कर्ष
कई अध्ययनों से पता चला है कि यदि कैंसर रोगी आशावादी मानसिकता नहीं अपनाते हैं तो इलाज के दौरान उन पर नकारात्मक दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं। किसी भी मरीज़ के लिए इलाज के नतीजे इस बात से काफी प्रभावित होते हैं कि वह अपना कितना अच्छा ख्याल रखता है। मरीज़ों को आम तौर पर थेरेपी और सामाजिक मेलजोल से लाभ होता है। अगर रोगियों का द्रष्टिकोण सकारात्मक नहीं होता है तो कैंसर का इलाज कराना कठिन हो जाता है। सकारात्मक द्रष्टिकोण लंबी आयु व मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाता है। अच्छे मानसिक स्वास्थ्य और बीमारियों से तेजी से ठीक होने के बीच स्पष्ट संबंध है। कैंसर से उबरने में कई कारक शामिल होते हैं, और सकारात्मक द्रष्टिकोण निश्चित रूप से एक प्रमुख सहायक तत्व है। इससे उन्हें स्थितियों को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है। मरीजों के परिवार के सदस्यों और शुभचिंतको का यह कर्तव्य है कि वे उन्हें सकारात्मक द्रष्टिकोण अपनाने में मदद करें।
Dr. Archit Pandit, Director & Head of the Department
Surgical Oncology
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