गॉलस्टोन दरअसल पित्ताशय में जमा होने वाला एक प्रकार का कठोर पदार्थ है, इसे आम भाषा में पित्ताशय की पथरी भी कहते हैं। इस बीमारी के तहत पित्त की थैली में लगातार कठोर पदार्थ जमा होते रहते हैं और एक समय बाद पथरी में बदल जाते हैं, ये न केवल पित्त के बहाव में अवरोध पैदा करते हैं बल्कि अनेक स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को जन्म दे सकते है। गॉलस्टोन होने के अनेक कारण है आइये विशेषज्ञों से जानते है इसके कारण, लक्षण, निदान और इलाज के तरीके।
गॉलस्टोन की पहचान
गॉलस्टोन तब बनते है जब पित्त में कॉलेस्ट्रॉल या बिलीरुबिन जैसे केमिकल ठोस होने लगते है। ये स्टोन्स अपने आकार और प्रकृति में अलग-अलग हो सकते है। हालाँकि गॉल स्टोन्स होने के सटीक कारणों का पता नहीं लगाया जा सका है लेकिन इसके जीवनशैली आधारित कारकों की पहचान ज़रूर हो सकती है, जैसे मोटापा,अत्याधिक तले-भुने खाना, अचानक वजन का घटना, हार्मोनल बदलाव, व आनुवांशिक कारक हो सकते है ।
डायग्नोसिस और लक्षण
कुछ लोगों में गॉलस्टोन्स के कोई लक्षण नज़र नहीं आते, और उन्हें ये आमतौर पर किसी अन्य स्वास्थ्य स्थिति के इलाज, और जांच के दौरान पता चलता है। बहुत से मामलों में लक्षण दर्द के साथ नज़र आते हैं, जैसे खाना खाने के बाद पेट में तेज दर्द, विशेषकर तले हुए खाद्यों के सेवन के बाद। इसके साथ ही उल्टी, मतली और ब्लोटिंग जैसी समस्याएं होती हैं। गंभीर स्थितियों में पित्ताशय में सूजन या पित्त नली की रुकावट जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं।
गॉल स्टोन्स के डायग्नोसिस के लिए पेट का उल्ट्रासाउंड, लिवर के संचालन की जांच के लिए रक्त परीक्षण और कभी-कभी इमेजिंग जैसे एमआरसीपी या ईआरसीपी का उपयोग किया जाता है। ये उपकरण गॉलस्टोन्स के आकार, मात्रा और स्थान की पहचान में मददगार होते हैं।
उपचार के विकल्प
गॉलस्टोन के उपचार का निर्धारण लक्षणों की गंभीरता और संबंधित जोखिमों पर निर्भर करता है। गॉलस्टोन को सफलतापूर्वक प्रबंधित करने के कुछ मूल तरीके इस प्रकार हैं:
सर्जिकल तकनीकें
जीवनशैली में परिवर्तन
कुछ जीवनशैली के बदलाव गॉलस्टोन्स का सफलतापूर्वक प्रबंधन करने में मदद कर सकते हैं:
निष्कर्ष
गॉलस्टोन्स की समस्या का यदि उचित प्रबंधन न हो तो यह गंभीर रूप ले सकती है। इससे प्रभावित होने वाले व्यक्तियों को इसके बेहतर प्रबंधन विकल्पों से परिचित होना महत्वपूर्ण है। ऐसे में गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट की सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और स्वस्थ जीवनशैली गॉलस्टोन्स को रोकने और इसके बेहतर इलाज में मदद कर सकते हैं।
Dr. Amit Mittal, Head Of the Department and Senior Consultant
Gastroenterology
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